गलगोटिया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ग्रेटर नोएडा में,अप्लाइड साइंस एंड ह्यूमैनिटीज डिपार्टमेंट द्वारा मनाया गया शिक्षक दिवस
गलगोटिया कॉलेज में 5 सितंबर 2023 को अप्लाइड साइंस और ह्यूमैनिटी डिपार्टमेंट द्वारा शिक्षक दिवस मनाया गया। डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ राजेश त्रिपाठी जी ने कहा कि हम हर साल 5 सितंबर को देश के पहले उपराष्ट्रपति,पूर्व राष्ट्रपति और दार्शनिक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को मानते हैं। बच्चे का पहला गुरु मां-बाप को माना गया है। इसके बाद जब बच्चा स्कूली शिक्षा के लिए विद्यालय जाता है तो शिक्षक उसे सब्जेक्ट का ज्ञान देने के साथ-साथ आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शित करते हैं। उन्होंने कहा हमारे माता-पिता ने हमें जीवन दिया।और शिक्षकों ने हमें इस जीवन को जीना सिखाया।
शिक्षकों ने हमारे चरित्र में ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और जुनून का परिचय दिया। अंत में उन्होंने कहा, गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है। गुरु ही है,जो हमें अपने जीवन में आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है। और उसके प्रेरणा से हम आगे बढ़ते हैं। डॉ राजेश त्रिपाठी जी ने कुछ पंक्तियों में गुरु की महिमा को व्याख्यान करते हुए कहा कि
गुरु तेरे उपकार का
कैसे चुकाऊं मैं मोल
लाख कीमती धन भला
गुरु हैं मेरे अनमोल
कार्यक्रम का संचालन डॉ विपिन कुमार श्रीवास्तव जी ने किया उन्होंने कहा कि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1952 -1962 तक देश के पहले उपराष्ट्रपति रहे। फिर 1962-1967 तक देश के राष्ट्रपति रहते हुए देश की सेवा की। इसके साथ-साथ उन्होंने कई भारतीय और विदेशी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। वह एक महान दार्शनिक भी थे। उनका योगदान बुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि एक दिन उनके सभी विद्यार्थी उनका जन्मदिन मनाने आए। तो उन्होंने कहा मेरा जन्मदिन आप सभी शिक्षक दिवस के रूप में मनाए। तभी से उनका जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
डॉ दुष्यंत तेवतिया जी ने कहा कि शिक्षक वह है जो किसी व्यक्ति की दिशा और दशा दोनों बदलने का कार्य करता है। और उसके जीवन के संपूर्ण विकास में अपना योगदान देता है। डॉ स्मृति द्विवेदी जी ने अपनी कविता की पंक्तियों द्वारा शिक्षक दिवस पर बहुत सुंदर व्याख्यान दिया। अंत में डॉ राजीव किशोर पांडेय जी ने शिक्षक पर कुछ सुंदर पंक्तियां व्याख्यान की।
सुंदर सुर सजाने को साज बनाता हूं। नौसिखिए परिंदों को बाज बनाता हूं।
चुपचाप सुनता हूं, शिकायतें सबकी, तब दुनिया बदलने की आवाज बनाता हूं।
समंदर तो परखता है हौसले कश्तियों के, और मैं डूबती कश्तियों को जहाज बनाता हूं।
अंत में डॉ विपिन कुमार श्रीवास्तव ने सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी।