बरेली के उद्यो्गपति संजीव गर्ग की हत्या का राज एक महीने बाद सामने आ गया। संजीव गर्ग के साढू के बेटों सोनू और मोनू ने ही उद्योगपति की हत्या की कहानी लिखी थी।
दोनों की कहानी पर दूसरे प्रांत के हत्यारों ने संजीव गर्ग को मौत के घाट उतारा था। साजिशकर्ता सोनू और मोनू को हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ कर रही है और पुलिस भाड़े के हत्यारों तक पहुंचने में जुटी है
प्रेेमनगर के दिव्य प्रकाश प्रेस के पास रहने वाले उद्योगपति संजीव गर्ग की परसाखेड़ा में प्लाइवुड फैक्ट्री है। 20 जनवरी को उनकी हत्या कर दी गई थी। 21 जनवरी की सुबह फतेहगंज पश्चिमी के अगरास रोड पर उनकी कार की ड्राइविंग सीट पर उनका शव मिला था।
सड़क पर खून के निशान थे। हत्यारों ने घटना को दुर्घटना का रुप देने के लिए संजीव की कार भी क्षतिग्रस्त कर दी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में संजीव के सिर पर धारदार हथियार से वार कर हत्या की पुष्टि हुई थी। संजीव के बेेटे शुभम की तहरीर पर फतेहगंज पश्चिमी पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज किया था
संजीव गर्ग की हत्या में शुरू से ही पुलिस को किसी करीबी पर संदेह के घेरे मैं था। पुलिस ने संदेह पर तफ्तीश शुरू की। एक फोन नंबर पुलिस के हाथ लगा। उसी नंबर के जरिए पुलिस संजीव गर्ग के साढू के बेटों सोनू और माेनू तक पहुंची।
कई बार पूछताछ की लेकिन, आरोपित मुंह खोलने को राजी नहीं हुए। पुलिस और साक्ष्य जुटाने में लगी रही, जैसे ही दोनों के संजीव की हत्या के साजिश रचने के पुख्ता प्रमाण मिले। दोनों को उठा लिया गया।
पुलिस के मुताबिक, पूछताछ में दोनों ने गैर प्रांत के भाड़े के हत्यारों के जरिए संजीव की हत्या करवाने की बात कही है। अब दोनों के जरिए पुलिस हत्यारों तक पहुंचने में लगी है। पूछताछ में अब तक सामने आया है कि हत्यारे संजीव की हत्या के बाद करोड़ों रुपये कीमत का सोना व कैश भी लूट ले गए थे।
संजीव गर्ग की हत्या के बाद जब करोड़ों की कीमत का सोना और रुपये भी हत्यारों द्वारा लूटे जाने की बात सामने आई तो पुलिस इन्कार करती रही। जैसे-जैसे हत्या की गुत्थी सुलझती गई, करोड़ों की लूट की पुष्टि होती गई।
पुलिस के मुताबिक, संजीव गर्ग के बेटे शुभम ने बयानों में करीब 60 लाख रुपये होने की ही बात कही है। संजीव के एक करीबी के मुताबिक, आयकर विभाग के डर के चलते घरवाले मुंह नहीं खोल रहे हैं।
हत्या वाले दिन संजीव गर्ग की कार में तीन बैग मौजूद थे जिसमे करीब 35 किलो सोना और दस करोड़ रुपये थे। सोने में एक-एक किलो की बिस्किट होने की बात सामने आई है। चर्चा है कि पुलिस ने हत्याकांड की गुत्थी करीब एक सप्ताह पहले ही सुलझा ली थी।
सोनू और मोनू के अलावा और कई हत्यारे भी पुलिस हिरासत में हैं लेकिन, माल बरामदगी पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई है। हत्याकांड की पुलिस द्वारा गुत्थी सुलझाए जाने के बाद संजीव गर्ग के परिवार को बुलाया गया।
घरवाले एसएसपी के कैंप कार्यालय पहुंचे। यहां पूरे घटनाक्रम के बारे में एसएसपी ने परिवार को बताया। संजीव गर्ग के सभी कातिलों को पकड़े जाने के साथ उन्होंने माल बरामदगी का आश्वासन दिया।