अवध जिले में, इसमें एक कांटा चुनाव लड़ाई भी है। अधिकांश चुनाव सेनानियों ने कानपुर के नजदीक उन्नाव और लखनऊ से सटे हार्डोई में विकसित किया है। जीत के दावे बहुत कठिन है, वे बहुत तंग महसूस करते हैं। जिलों में भी समस्याओं का चयन नहीं करते हैं। ध्रुवीकरण अधिक दिखता है। चुनावों का प्रतिशत भी 60 तक नहीं पहुंच सकता है।
उन्नाव में सबसे रोमांचक संघर्ष सदर सीट पर दिखा, जहां हैट्रिक बनाने के लिए भाजपा से पंकज गुप्ता के मुकाबले नए प्रत्याशी अभिनव कुमार सपा से उतरे। अभिनव पूर्व मंत्री मनोहर लाल के पौत्र है।
दोनों के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। यही हाल पुरवा सीट पर रहा। पिछला चुनाव बसपा से जीत कर भाजपा में चले गए अनिल सिंह को सपा के पूर्व विधायक उदयराज यादव से कड़ी चुनौती मिली।
यहां बसपा के विनोद त्रिपाठी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जूझते रहे। विस अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित की सीट भगवंतनगर पर भाजपा ने आशुतोष शुक्ला को लड़ाया। उन्हें सपा-बसपा दोनों से टक्कर मिली।
बांगरमऊ, मोहान और सफीपुर में भाजपा-सपा के बीच मुकाबला माना जा रहा है। उन्नाव में जातियों ने बड़ी भूमिका निभाई। मुद्दे यहां भी अति जागरूक वोटरों तक सीमित रहे।
हरदोई में पिछले चुनाव में आठ में से सात सीटें भाजपा के पास थीं। केवल सदर पर सपा जीती थी। इस बार सदर जीतने वाले विस उपाध्यक्ष नितिन अग्रवाल भाजपा के टिकट पर थे।
उनके पिता नरेश अग्रवाल राजनीतिक दिग्गज हैं और इस सीट पर कई दशक से इस परिवार का कब्जा है। नितिन को यहां सपा से टक्कर तो मिली लेकिन उनका मुकाबला आसान माना जा रहा है।
सबसे कड़े संघर्ष में शाहाबाद, बिलग्राम और सांडी सीटें फंसी। जहां भाजपा प्रत्याशियों को सपा ने तगड़ी चुनौती दी है। गोपामऊ, सवायजपुर, संडीला और बालामऊ में भी टक्कर रही।
कहीं-कहीं सपा के साथ बसपा भी दो-दो हाथ करती नजर आई। बुंदेलखंड से सटे फतेहपुर में मतदान का आधार मुद्दों से ज्यादा स्थानीय समीकरण रहे। यहां दो राज्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा चुनावी समर में फंस गई है।
बिंदकी से अपना दल एस के प्रत्याशी और कारागार राज्यमंत्री जय कुमार जैकी और सपा प्रत्याशी विशंभर दयाल के बीच घमासान हुआ। कई इलाकों में बसपा के सुशील पटेल मुकाबले का एक ध्रुव बन कर उभरे।
फतेहपुर में दूसरा रोचक मुकाबला हुसेनगंज सीट पर हुआ। यहां भाजपा से खाद्य राज्यमंत्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी चुनाव लड़े। उन्हें सपा की ऊषा मौर्य और बसपा के फरीद अहमद से मजबूत चुनौती मिली है। खागा और आयाहशाह में मुकाबले उतने सख्त नहीं माने जा रहे हैं लेकिन जहानाबाद में भाजपा, सपा और बसपा के बीच जबरदस्त संघर्ष दिखाई दिया।