बोर्ड परीक्षा का रद्दीकरण: सभी राज्य परिषदों, सीबीएसई, आईसीएसई और राष्ट्रीय संस्थान ऑफ ओपन स्कूलिंग यानी द्वारा आयोजित एक शारीरिक परीक्षा को रद्द करने के लिए याचिका की आवश्यकता हो गई है। दसवीं कक्षा और बारह के लिए एनआईओएस।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह इस साल सीबीएसई और कई अन्य बोर्डों द्वारा आयोजित की जाने वाली कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए ऑफलाइन बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिका की अग्रिम प्रति केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के स्थायी वकील और अन्य संबंधित प्रतिवादियों को दे दी जाए।
देश भर में 10वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए ऑफलाइन परीक्षाओं को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार, 24 फरवरी, 2022 को सुनवाई करेगा। याचिका में सभी राज्य बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग यानी एनआईओएस द्वारा दसवीं और बारहवीं कक्षा के लिए आयोजित की जाने वाली ऑफलाइन परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार के समक्ष याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का जिक्र किया गया था।
याचिकाकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय की ओर से पेश वकील ने मामले का उल्लेख करते हुए पीठ से इसे तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आग्रह किया, क्योंकि कई राज्यों में बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं और कई में जल्द होने वाली हैं।
याचिका में सीबीएसई, अन्य केंद्रीय और राज्य शिक्षा बोर्ड को मूल्यांकन के अन्य तरीकों को तैयार करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। क्योंकि, फिलहाल सभी बोर्ड ने कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए ऑफलाइन मोड में बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव दिया है। सीबीएसई ने 26 अप्रैल से कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं के लिए टर्म-2 बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पद्मनाभन ने मंगलवार को जस्टिस खानविलकर के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया। पद्मनाभन ने कहा कि दो साल से वही समस्या बनी हुई है।
भले ही कोविड में सुधार हुआ है, ऑफलाइन कक्षाएं आयोजित नहीं की गई हैं तो फिर ऑफलाइन परीक्षाएं कैसे आयोजित की जा सकती हैं? इन्हें निरस्त किया जाना चाहिए और वैकल्पिक मूल्यांकन प्रक्रिया तैयार की जानी चाहिए।
इस पर कोर्ट ने कहा कि याचिका की प्रति सीबीएसई को दे दीजिए। हम मामले को बुधवार, 24 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे। बुधवार की सुनवाई सीबीएसई तक सीमित रहेगी।
इससे पहले इस याचिका को देश भर के 15 से अधिक राज्यों के छात्रों के प्रतिनिधित्व के साथ प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, जिन्होंने जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने पर सहमति दी थी।