उत्तर प्रदेश (सीतापुर) संसू, रेउसा जंगल का अज्जेपुर विभाग झील को अनदेखा कर रहा है। गंदगी और अव्यवस्थाओं से घिरे झील के बाहर के पक्षी भी दिखाई नहीं देते हैं। झील की सफाई भी नहीं हुई है।
लोगों के लिए बनाए गए वाच टावर जंग खा रहे हैं। 92 हेक्टेयर में फैली चंद्राकार अज्जेपुर झील में कभी विदेशी पक्षियों का कलरव गूंजा करता था। तत्कालीन डीएम संजय कुमार की पहल पर झील का जलकुंभी से घिरी अज्जेपुर की झील जागरण सौंदर्यीकरण कराया गया था।
झील में प्रवासी व अप्रवासी पक्षियों को प्राकृतिक संरक्षण मिले, इसके लिए उपाय किए गए थे। वाच टावर, वैटलैंड का निर्माण किया गया था। लाखों रुपये झील के सौंदर्यीकरण पर खर्च हुए। इससे निखरी झील में आने वाले पक्षियों की संख्या में इजाफा हो
गया था। आस पास के लोग झील पर टहलने के लिए आते थे। झील में कई तरह के जीव जंतुओं को भी आश्रय मिलने लगा था। इस समय झील जल कुंभी से पटी है। झील पर साफ सफाई का अभाव है। ऐसे में पक्षी झील की ओर आकर्षित नहीं होते। झील
झील पर बाहर से आने वाले पक्षी भी नजर नहीं आते, जंग खा रहा वाच टावर, झील की साफ सफाई नहीं दिया जा रहा ध्यान
मैंने हाल में ही कार्यभार ग्रहण किया है। झील का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं दुरुस्त कराई जाएंगी। झील पर साफ सफाई के लिए बजट की व्यवस्था नहीं है।
एके सिद्दीकी, वन क्षेत्राधिकारी बिसवां
पर बनाई गई झोपड़ी भी देखरेख के अभाव में दुर्दशा का शिकार है। झोपड़ी भी जर्जर होती जा रही है। वन कर्मियों के ठहरने के लिए बने आवास की खिड़की, दरवाजा चोर उखाड़ ले गए। झील पर आने वाले लोगों की संख्या भी कम हो गई है।
औपचारिता निभाई जाती: झील पर वर्ष में एक बार विश्व वैटलैंड दिवस पर गोष्ठी होती है। इसमें जीव जंतुओं के विषय में बताया जाता है। बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है। इसके बाद झील की तरफ वन कर्मी नजर नहीं उठाते।