लहरपुर/सीतापुर अंतर्राज्यीय स्तर पर मशहूर लहरपुर का कबाड़ व्यवसाय एक बार फिर से हुआ गुलजार।अंतर्राज्यीय स्तर पर मशहूर लहरपुर का कबाड़ व्यवसाय एक बार फिर से हुआ गुलजार।अपनी सुविधा के हिसाब से पुलिस बनाती है
नित नए कानून-चोरी की गाड़ियों के कटने का सिलसिला एक बार फिर जारी-सूत्र:पुलिस और कर अधिकारियों के बीच एक दूसरे के पाले में गेंद फेंकने का खेल हुआ शुरू।
लहरपुर : पिछले तीन दशकों से अंतर्राज्यीय स्तर पर मशहूर हो चुका लहरपुर का कबाड़ व्यवसाय लगभग एक साल की खामोशी के बाद एक बार फिर से अपने शबाब पर आ चुका है।
लहरपुर के हरगांव और तंबौर मार्ग पर लगभग पांच से छः किलोमीटर के दायरे में फैला आधा सैकड़ा से अधिक कबाड़ व्यवसायियों का यह अवैध कारोबार स्थानीय पुलिस की मिलीभगत के चलते एक बार फिर गुलजार हो चुका है।
सूत्रों की माने तो स्थानीय कोतवाली प्रभारी मनीष सिंह के खाऊ कमाऊ नीति के चलते एक बार फिर नियमों को ताक पर रख कर कबाड़ व्यवसायियों को खुलेआम छूट दे दी गई है।
ज्ञातव्य हो कि एक वर्ष पूर्व तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी योगेंद्र सिंह के द्वारा पूरी कबाड़ मार्केट का निरीक्षण कर कबाड़ व्यवसायियों को अपना रजिस्ट्रेशन कराने और स्टॉक के साथ खरीद और बिक्री के रजिस्टर बनाने की बात कही गई थी। और सभी दुकानों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाने के निर्देश दिए गए थे।
उसी समय पुलिस और कबाड़ व्यवसायियों के बीच हुई। एक कथित बैठक में जब तक सारे मानक पूरे न हो जाएं तब तक कबाड़ व्यवसाय पर पूरी तरह से रोक लगाने के आदेश भी दिए गए थे। दिलचस्प पहलू यह है। कि यह कबाड़ मार्केट चोरी के वाहन काटने के बिंदु पर कई बार गैर जनपद की पुलिस के निशाने पर आ चुकी है। इसके बावजूद भी स्थानीय पुलिस की कुंभकरणी नींद आज तक नहीं टूटी।
कबाड़ व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों की माने तो इस बार स्थानीय पुलिस ने ₹15000 प्रति गाड़ी की शर्त पर लोडिंग के लिए मंजूरी दी है। अब सच क्या है। यह तो स्थानीय कोतवाली प्रभारी मनीष सिंह और पुलिस क्षेत्राधिकारी सुशील सिंह ही जानते होंगे। किंतु तमाम नियम कानूनों को ताक पर रख कर कबाड़ व्यवसायियों द्वारा खुलेआम लोडिंग करते हुए। कभी भी देखा जा सकता है।
जबकि पिछले 6 माह के दौरान इन्हीं कोतवाली प्रभारी मनीष सिंह के द्वारा 2 दर्जन से अधिक कबाड़ की आधी अधूरी लोड गाड़ियों को कोतवाली लाकर या तो एक मोटी रकम लेकर छोड़ दिया जाता था। या उन्हें सीज करने की कार्रवाई कर दी जाती थी। और आज आलम यह है। कि प्रतिदिन चार से छह ओवरलोड ट्रक स्क्रैप की लोडिंग करते हुए। खुलेआम देखे जा सकते हैं।
सूत्रों की माने तो इस समय कबाड़ मार्केट में प्रतिदिन आधा दर्जन से अधिक चोरी के दोपहिया और चार पहिया वाहन बाहर से लाकर काटने का सिलसिला चल रहा है। जबकि स्थानीय पुलिस ने एक मोटी रकम के बदले इस तरफ से अपनी आंखें बंद कर रखी है। प्रश्न यह उठता है। कि अपने खुद के लिए रोज नए-नए नियम कानून बनाने और तोड़ने वाली स्थानीय पुलिस किन नियमों के आधार पर पहले इस कबाड़ व्यवसाई को अवैध बताती थी। और किस नियम के आधार पर पूरा कबाड़ व्यवसाय आज की तारीख में पुलिस की नजर में वैध हो चुका है। कुल प्रकरण पर जब पुलिस क्षेत्राधिकारी सुशील सिंह से बात की गई। तो उन्होंने बताया कि जीएसटी अधिकारियों से उनकी बात हुई है।
अधिकारियों का कहना है कि 40 लाख तक के टर्नओवर का व्यवसाय करने की उन्हें छूट है। वही जब इस संबंध में उप जिलाधिकारी लहरपुर पीएल मौर्य से बात की गई। तो उन्होंने कहा कि वह जीएसटी अधिकारियों को बुलाएंगे और कुल प्रकरण की स्वयं जांच करेंगे।