सीतापुर महमूदाबाद. यू पी बोर्ड के गलत मूल्यांकन से आर्ट्स ग्रुप की टॉपर, होनहार छात्रा ने नहर में कूद कर दी जान। लिखा सुसाइट नोट। यू पी बोर्ड के मूल्यांकन पर पहले भी उठते रहे हैं सवाल,जाती रही हैं जानें। कितनी और जिंदगियां लेने के बाद सुधरेगी मूल्यांकन व्यवस्था?
शारदा नहर में छलांग लगाकर अपनी जान दे देने वाली गरिमा वर्मा मीरानागर निवासी श्री गिरीश चंद्र वर्मा की बेटी थी। गरिमा सीता इण्टर कालेज की आर्ट्स ग्रुप की टॉपर और होनहार, बेहद शालीन छात्रा थी। कॉलेज में आर्ट्स ग्रुप में गरिमा क्लास 11 से ही टॉपर थी। क्लास 12 में भी टॉपर थी।कालेज में होने वाली हाफ इयरली और प्री बोर्ड एग्जाम में भी वह टॉपर रही, उसे पुरस्कार मिले। 18 जून को UP बोर्ड का रिजल्ट आया। गरिमा वर्मा को भूगोल में 93, हिंदी में 82, सिविक्स में 80, अंग्रेजी में 78 और अर्थशास्त्र में 75 नंबर प्राप्त हुए। कुल 81.6 प्रतिशत नंबर मिले। परीक्षा समाप्त होने के बाद गरिमा बहुत खुश थी, कहती थी की बहुत अच्छे नंबर लाऊंगी।
पेपर बहुत अच्छे हुए हैं।रिजल्ट निकला तो वह घोर निराशा के अंधकार में डूब गई।गरिमा थी आर्ट्स ग्रुप की टॉपर परंतु उसका कालेज में आर्ट्स ग्रुप में चौथा स्थान आया। कापियों के मूल्यांकन को लेकर वह बेहद क्षुब्ध थी। अर्थ शास्त्र और अंग्रेजी में मिले मार्क्स से गरिमा बेहद निराश थी।घर वालों ने समझाया,किंतु बेहद शालीन ,मिलनसार गरिमा ने सुसाइट नोट लिखकर आज शारदा नहर में कूदकर अपनी जान दे दी। उसने सुसाइट नोट में एग्जाम में काम मिले अंकों का जिक्र करते हुए लिख मम्मी, पापा सारी।मैं जानती हूं कि मेरा ये कदम गलत है,पर मैं कम नंबर मिलने से रोज घुट घुट कर नही मर सकती,इसलिए अपना जीवन समाप्त कर रही हूं। गलत मूल्यांकन के कारण पहले भी बच्चों की जानें गईं हैं।
सरकार और बोर्ड को मूल्यांकन को पारदर्शी बनाने के लिए प्रभावशाली और ठोस उपाय करने चाहिए।आखिर कब रुकेगा यह सिलसिला?कब चेतेगा यू पी बोर्ड? कब सुधरेगी मुयंकन व्यवस्था? कौन दिलाएगा विद्यार्थियों को न्याय?सभी विद्यार्थियों से कालेज की ओर से यह आग्रह है कि ऐसे कदम न उठाएं।जिंदगी को संग्राम मानकर संघर्ष करें। जीवन अमूल्य है, इसे हर कीमत पर सुरक्षित रखें। कालेज परिवार की ओर से होनहार छात्रा गरिमा वर्मा को विनम्र श्रद्धांजलि।