जानकारी के मुताबिक, कानपुर देहात जेल में बंद बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे का वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया है. डीजी जेल में पूरे मामले की जांच डीआईजी रविशंकर को सौंपी है. जिन्हें तत्काल कानपुर देहात जेल जाकर इसकी जांच करनी है और तीन दिन के भीतर रिपोर्ट डीजी जेल को सौंपनी है. डीआईजी रविशंकर जेल पहुंचकर यह पता लगाएंगे, कि आखिर जेल के अंदर का वीडियो किसने वायरल किया? जेल में मोबाइल लेकर कौन गया था? ये तमाम सवाल हैं जिस बिंदु पर वह अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे.
कानपुर में हुए बिकरू कांड के आरोपियों की मददगार खुशी दुबे का हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो जुंबा डांस करती हुई दिखाई दे रहीं है. जिसके बाद अब DG जेल ने DIG स्तर के अधिकारी को मामले की जांच सौंपी है. जिसके चलते अब DIG रविशंकर तत्काल कानपुर देहात जेल भेजे गए हैं. जिसके बाद, इस मामले में बड़ी कार्यवाही हो सकती है. बता दें खुशी दुबे विकास दुबे एनकाउंटर में ढेर हुए अमर दुबे की पत्नी हैं, जो बिकरू कांड के बाद से जेल में बंद हैं.
बता दें कानपुर देहात जिला जेल में बन्द महिला बंदियों का तनाव दूर करने और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए जेल के अंदर योगा टीचर किरन गुप्ता ने तीन दिवसीय योग शिविर का आयोजन किया था. तीन दिनों से लगातार चल रहे इस शिविर में महिला बंदियों के साथ बिकरु कांड में आरोपी खुशी दुबे ने जुंबा डांस किया. योगा टीचर किरन गुप्ता ने बताया कि उन्होंने तीन दिवसीय योग शिविर जिला कारागार में कियास इस दौरान वहां पर बन्द खुशी दुबे ने उनसे डांस करने की मांग की लेकिन उन्होंने योगा का एक पार्ट जुंबा डांस करवाया.
जिसके बाद तीन जुलाई की सुबह सबसे पहले पुलिस ने विकास के रिश्तेदार प्रेम कुमार पांडेय और अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया. इसके बाद हमीरपुर में अमर दुबे को ढेर कर दिया गया. इटावा में प्रवीण दुबे मारा गया. पुलिस कस्टडी से भागने पर पनकी में प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय मिश्रा को ढेर कर दिया गया. विकास दुबे ने नौ जुलाई की सुबह उज्जैन में नाटकीय ढंग से सरेंडर किया. एसटीएफ की टीम जब उसको कानपुर लेकर आ रही थी तो सचेंडी थाना क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में विकास मार दिया गया.
दो जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुरधस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दुबे व उसके साथियों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था. एफआईआर दर्ज करने के बाद उसी रात करीब साढ़े बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरू गांव में दबिश दी गई. यहां पर पहले से ही विकास दुबे और उसके गुर्गे घात लगाए बैठे थे. घर पर पुलिस को रोकने के लिए जेसीबी लगाई थी. पुलिस के पहुंचते ही बदमाशों ने उन पर छतों से गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं. चंद मिनटों में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर ये सभी फरार हो गए थे.