सीतापुर। तहसील बिसवां विकास क्षेत्र रेउसा समेत 19, ब्लॉकों में खुला घूम रहे जानवरों से किसान बहुत ही परेशान है। जबकि चुनाव में सबसे पहले यही बात सामने आई थी। चुनाव खत्म होने के बाद किसानों की जो समस्या है।
खुलेआम घूम रहे जानवरों का निराकरण जल्द से जल्द किया जाएगा। लेकिन धरातल पर वैसा दिखाई नहीं दे रहा है। जैसा कि वादा किया गया था। उस समय तत्काल के जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने सभी ग्राम प्रधानों को सूचित करते हुए। अस्थाई गौशाला बनाकर अपनी-अपनी ग्राम सभाओं में जानवरों को बांधे और उनका भरण पोषण करें।
जिसकी जिम्मेदारी प्रधानों की थी। मात्र कोरम पूरा करने के लिए। प्रधानों ने उस दिन के लिए। जानवरों को अस्थाई रूप से बांधा और उसके बाद फोटो खींचकर मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी और जानवरों को फिर से खुलेआम छोड़ दिया। आखिर यह कहां का न्याय है। भ्रष्टाचार दिनों के दिन बढ़ता जा रहा है।
इस देश की जड़ किसान हैं। हमारा भारत देश किसान प्रधान देश है। जब किसानों की फसलें ही नहीं सुरक्षित रहेंगी। तो किसान कैसे सुकून की नींद सो सकता है। किसानों की सबसे बड़ी समस्या यदि अगर कोई है। तो इस समय में खुला घूम रहे जानवरों से अपनी फसल को बचाना। यदि सरकार और उच्च अधिकारी मिलकर इस समस्या का समाधान निकाले तो किसानों के लिए।
अमृत प्रदान करने जैसा कार्य होगा। और दूसरी तरफ यहां पर गौशाला में भी जानवर सुरक्षित नहीं है। गौशाला में जानवरों को भरपेट चारा भी नहीं मिल पाता है। और महंगाई के चलते सरकार एक जानवर का रुपया 30, भरण पोषण के लिए प्रधानों को देती है। गौशाला संचालकों का कहना है।
एक जानवर पर लगभग खर्च ₹,60, आता है। भूसा देने के लिए सरकारी टेंडर रुपया, 787, प्रति कुंटल तय किया गया था। लेकिन वह मात्र कागजों पर ही दिखाई देता है। जबकि हम लोग वहीं भूसा मार्केट से रुपया, 12, सौ से लेकर 15, सौ रुपए तक की खरीद पाते हैं।
इतनी महंगाई में कैसे चलाएंगे हम लोग गौशाला। अगर हम लोग अपनी सरकार द्वारा दी जाने वाली प्रधानों को मंथली रुपया 5000, राशि भी इन गौशाला में खर्च कर दे तब भी कोई निष्कर्ष निकलने वाला नहीं है। यह एक बहुत बड़ी गंभीर समस्या है। इस समस्या से निदान दिलाने के लिए। माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा इससे जुड़े सभी उच्च अधिकारी ध्यान दें।
तभी जाकर इस समस्या का समाधान हो सकता है। उधर किसान धरना प्रदर्शन करने की तैयारी में जुटे हुए हैं। अगर यह धरना शुरू हो गया। तो हर ब्लाक न्याय पंचायत ग्राम स्तर पर होगा। जिसका अंजाम भयावह हो सकता है। आखिर किसान करे तो क्या इसके अलावा उसके पास कोई विकल्प बचा ही नहीं है।