सम्भल:-प्याज की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए केंद्र सरकार अब तक कई महत्वपूर्ण कदम उठा चुकी है, जिसका असर भी अब दिखने लगा है। सरकार के दखल के बाद अब प्याज के भाव गिरकर 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक कम हो गए हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि बफर स्टॉक के लिए प्याज की खरीद बढ़ाने और साथ ही रियायती दरों पर बिक्री करने के उसके फैसले से देश भर में प्याज की औसत कीमत 60 रुपये प्रति से नीचे पहुंच पाई है। अगर सरकार ने ये कदम नहीं उठाए गए होते तो उत्पादन की कमी के कारण इस वर्ष प्याज की कीमतों को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता।हालांकि, अब एक बार फिर प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि, सरकार के पास मौजूद प्याज के बफर स्टॉक का 25% प्याज खराब होने की आशंका है। बिजनेस लाइन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि सरकार को 300 करोड़ से अधिक का नुकसान हो सकता है। क्योंकि, बफर स्टॉक का लगभग 25 प्रतिशत प्याज खराब हो चुका है, जो अब खाने योग्य नहीं बचा है।रोहित कुमार सिंह ने बताया कि केंद्र ने अब तक 5.1 लाख टन प्याज खरीदा है, जिसमें से 2.74 टन बेचा जा चुका है। जबकि, सरकार के पास मौजूदा बफर स्टॉक केवल 50 हजार टन से एक लाख टन के बीच ही प्याज मौजूद है। उन्होंने कहा कि प्याज एक खराब होने वाली वस्तु है। बफर स्टॉक का लगभग 25 प्रतिशत प्याज खराब हो चुका है। हालांकि, ये पूरी तरह खराब नहीं हुआ है। इसे ग्रेड बी के रूप में सस्ते में बेचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है क्योंकि सरकार लगातार प्याज की खरीद कर रही है।
उपभोक्ता मामलों के सचिव ने कहा कि सरकार के विभिन्न उपायों के कारण जनवरी तक प्याज की कीमतें मौजूदा अखिल भारतीय औसत कीमत 57 रुपये प्रति किलोग्राम से कम होकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आ सकती है। उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (सीपीआई) बास्केट में प्याज की मुद्रास्फीति जुलाई से दोहरे अंक में रही है, जो अक्टूबर में चार साल के उच्चतम स्तर 42.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों और ग्राहकों को राहत देने की दिशा में लगातार काम कर रही है।