हरदोई: कहा जाता है कि मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे। ऐसी ही एक संघर्ष की कहानी हरदोई के माधौगंज के प्रफुल्ल गोस्वामी की है। आज पूरे हरदोई में उनकी चर्चा हो रही है। दरअसल, प्राचीन काल में पांडुवंशी वंश की राजधानी रही शिरपुर की धरोहर के संरक्षण के लिए हरदोई के प्रफुल्ल गोस्वामी का डिजिटल प्रोजेक्ट में चयन किया गया है।आपको बता दें कि एक मल्टीनेशनल कंपनी में प्रोजेक्ट लीडर के तौर पर कार्यरत प्रफुल्ल गोस्वामी का प्रोजेक्ट का चयन साइंस एंड हेरीटेज रिसर्च इनिशिएटिव (एसएचआरआई) कार्यक्रम के तहत किया गया है। बताया जाता है कि प्रफुल्ल गोस्वामी IIIT सोनीपत के पीएचडी स्कॉलर भी है।
5वीं से 12वीं शताब्दी के बौद्ध, हिंदू और जैन मंदिरों और मठों से युक्त स्मारक शिरपुर धरोहर
आपको बताते चलें कि छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में महानदी के तट पर स्थित शिरपुर पूरी तरह से सांस्कृतिक और स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। शिरपुर में 5वीं से 12वीं शताब्दी के बौद्ध, हिंदू और जैन मंदिरों और मठों से युक्त स्मारक हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने शिरपुर धरोहर के डिजिटल संरक्षण के लिए चयनित विज्ञान और विरासत अनुसंधान पहल (एसएचआरआई) कार्यक्रम में धरोहरों को संरक्षित करने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है। जिसमें स्मारक खराब होने की प्रक्रिया और इसके संरक्षण की तकनीक से संबंधित तथ्यों को विशेषज्ञों के साथ विश्लेषण कर सांस्कृतिक विरासत को डिजिटली संरक्षित किया जाएगा।
शिरपुर के डिजीटली संरक्षण के लिए लगभग 58 लाख के प्रोजेक्ट का हुआ चयन
शिरपुर के डिजीटली संरक्षण के लिए लगभग 58 लाख के प्रोजेक्ट का चयन हुआ है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य शिरपुर हेरीटेज को संरक्षित करना है। जिसमें इस हेरीटेज की प्रदूषण के कारण हो रहीं क्षति का मूल्यांकन किया जाएगा और मौजूदा स्थिति को डिजिटली भविष्य के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। इस बडी उपलब्धि पर IIIT सोनीपत के निदेशक ने प्रफुल्ल गोस्वामी को बधाई देते हुए भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।